उपलब्धि!

तुम्हे लिखते हुए 
मेरे कीबोर्ड पर 
उग आते हैं फूल स्वतः!

तुम्हे सोचते हुए
अनायास ही उपलब्ध होता हूं मैं
समाधी को!

अद्वैत का अन्वेषण 
हमें ध्यान में रखकर ही किया गया था!

हमारा संयोग बहुत ही अकृत्रीम है!
तुम्हे पाना ही मेरा स्वयं को पाना होगा!

~पलकेश
(मेरे परमात्मा पर लिखी गई कविता)

Comments

Popular posts from this blog

समीक्षा प्रयास: असुर वेबसीरीज

जय जवान-जय किसान🇮🇳

Indian mythology: ऋषि