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कविशाला ✍

अथक-अत्यंत प्रयासों से अब लिखता हूं यह "कविशाला", राह एक है,एक ही राही हो कविता या मधुशाला।1। कविशाला इक शब्द होगया कविता होगाई मधुशाला, कवि हो गया मधुविक्रेता श्रोता बना पीनेवाला।2। यहां न प्याला कोई मिलेगा ना ही मिले कोई हाला, जब कविता का लगता मेला शाश्वत होती कविशाला।3। एक चला था पीने को अब एक चला लिखने वाला, नशा एक सा दोनों में है हो शब्द या हों हाला।4। शब्द बने आज ये साकी मदिरालय ये कविशाला, एक बराबर बात लगेगी पढ़ ली हो मानो हाला।5। लिखते है यों शब्द संग्रह जैसे हो मधु का प्याला, लो चुस्की दो हाला की या सुन कविता हो मतवाला।6। कलम कागज़ सब संभला कर अब बैठा है लिखने वाला, लिखता है दो घंट कविता यूं लेता दो चुस्की हाला।7। किन्तु शब्द कुछ कह नहीं पाते, चुप न रह सकती हाला, मूक तो है यह शब्द मगर ग़ज़ल बनगई कविशाला।8। कागज़ पर कुछ शब्द उकेरे प्याली में ली कुछ हाला, दोनों को भर आंखो में अब कवि हो गया मतवाला।9। दुनिया कहती हीन उसे वो दीवाना मतवाला, वो मदिरालय का है पागल मैं पागल लिखने वाला ।10। पूष्पों के श्र