Posts

Showing posts from December, 2019

नारी!

नारी! ऋग् की ऋचाओं ने जिसे गाया वो तुम! यजुः के कर्मकाण्ड ने जिसे ध्याया वो तुम! वेदों ने तुमको "अखिलम्-जगत" कहा है! तुमने पृथ्वी सम नारी! भार सहा है! अरण्यकों-उपनिषदों में "प्रकृति" नारी है ईश्वर की उत्कृष्ट कृति नारी है!1. . तुमको मानव ने "मां" की संज्ञा दी , साक्षात प्रेम की,करुणा की संज्ञा दी, आदि काल से तुम सर्व शक्ति-शाली हो, तुम त्रिदेव से नारी! बलशाली हो! तुम भूल गई सारी वीर गाथाएं ! तुम भूली अपनी शक्ति और सीमाएं, तुम सप्तशती हो,तुम्हीं मातृका सारी! नारी नौ-दुर्गा हो,तुम्हीं योगिनियां सारी।2 त्रिलोक में जब था प्रकोप, भयंकर महिष का चंड और मुंडों का, रक्तबीज का दानव शुंभ-निशुंभों का आए थे सब देव कर जोड़े शैलांचल में, आए थे इन्द्र-शिव-विष्णु-वरुणादी हिमाचल में, सबको तुमने तब नारी! भय से तारा था। तुमने दैत्यों को मृत्यु-घाट उतारा था!3 तुम हिम सी शीतल-सौम्य-शांत रहती थी! तुम देव-दैत्य में भेद नहीं करती थी! तुम प्रेम-ममता-करुणा की मुर्तिवती थी! तुमको दानव ने नोंचा, ललकारा था! रणभूमि में हे चंडिका!तुम्हे पुकारा था! तुमने