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प्रतीक्षारत💞

मैं तुम्हारी प्रतीक्षा में हूं! प्रतीक्षा में हूं उन काजल वाली आंखों का, जिन्हे इस्तेमाल किया जा सकता है सम्मोहन क्रियाओं में, प्रतीक्षा में हूं उन झुमकों की, जिन्हे वरदान प्राप्त है, तुम्हारे दोनों कपोलों को एक साथ चूमने का, प्रतीक्षा में हूं, उन पायल वाले पैरों की जो दी थी तुम्हें खरीदकर पिछले कार्तिक के मेले में से, उनके घुंघरुओं की गूंज ही पर्याप्त है मेरे कोकिला व्रत को खोलने के लिए! जब तुम आओगी तो भी होगा उत्सव वैसा, जैसे राम के लौटने पर हुआ था "अपनी" अयोध्या में! वही क्षण मेरे जीवन के अश्विन की शरद पूर्णिमा होगी!💜

जाड़े की धूप ☀️

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हर रंग का अपना एक प्रतीक होता है, मैं कौनसा रंग तुम्हारे नाम कर देता? इसलिए मैंने सात रंगों से मिलकर बनी उस श्वेत पट्ट में तुम्हे खोजा। विज्ञान के वर्ण विक्षेप ने मुझे तुम्हारा पता दिया! हर ऋतुकाल में तुम्हारा रंग भी बदलता है, रश्मियों के पुंज से सुशोभित सप्त सप्तियों से युक्त मरिचिमान का जो रंग है, तुम उस से हो! मेरे लिए तुम जाड़े में धूप से हो। ~पलकेश