जय जवान-जय किसान🇮🇳

जय उनकी,जो समरों में सो कर,
चिर जाग्रत हो गए!
जय उनकी,जो यमपाश में बंधकर,
भारती को मुक्त बंधन कर गए!
जिनके गिरते ही धरा पर,
वह हुई ऊंची आकाश भर!
जय उनकी, जिनके विरत्व की,
थाह वीरता पा ना पाई!

जय उनकी,जो हिय-चीर धरा का,
धान का है बीज बोते!
जो सींचते नित निज लहू से फसलें
देश को हैं अन्न देते!
जय उनकी, जिनका ही उद्यम 
चलता है कल-खानों में भी!
उनकी परिश्रमशीलता ही,
मिट्टी से है सोना उगाती !

वे जवान,वे किसान,
बलिदान की परिभाषा हैं!
त्याग की पराकाष्ठा हैं
वे ही भारत राष्ट्र की प्रतिष्ठा हैं!

जिनसे है गंगा जमुना सतलुज सिंध,
जिनसे है हिमाद्री नील दक्कन विंध्य,
जिनसे ही कश्मीर कन्याकुमारी,
जिनसे ही गुजरात बंग,
जिनसे ही है पूर्व की सप्त क्यारी!
वे हैं असली जन-गण के अधिनायक!
करते हैं भाग्य-विधान!
जय जवान-जय किसान!


जय हिन्द 🙏🏻🇮🇳
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाओं के साथ!
~पलकेश सोनी

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